आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं...!
दोस्तों ,
ये एक दिल में बसने वाला philosophical song है , और ये गाना सभी के साथ जोड़ा जा सकता है . किशोर की धनक भरी आवाज का जादू . आईये ये गाना पूरा सुने और दिल में कुछ कसमे खाए के बेहतर जीवन जीने के लिए .
आपका
विजय
A simple human ,a dreamer, a poet , a musician , a singer, a photographer, a sculptor, a comic artist, a dancer, a writer, a painter, a giver, a worshiper, a lover, a friend, a teacher, a mentor, a speaker, a thinker, a philosopher and a lifetime student learning from this world ......!!!!
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मैं अपनी कविताओ को पोस्ट कर रहा हूँ . Pls visit : http://poemsofvijay.blogspot.com कविताएं मेरे लिए मेरे बच्चों की तरह है, बस मेरी दुनिया में , मैं और मेरी कविताएं.. कविताओ के मन से.......मेरी एक छोटी सी कोशिश है कि, मेरी कविताओं से मन की गाठें खुले ,आप थोड़ा ठहर कर पीछे देखें , खुछ याद करें .....कुछ भूलें .....कही रूखे हुए कदमो को तलाशे .....कुछ सूखे हुए आँसुओ को देख ले ........किसी को याद कर ले ...किसी को भूल जाएं .... किसी को देख ले ...किसी के बारे में सोच ले...कुछ साँसे ,किसी के नाम कर दे , कुछ साँसे किसी से उधार ले ले...किसी को कुछ दे दे , किसी से कुछ ले ले ......आओ फिर से प्यार कर ले..................
दोस्ती किया है ..........तुमसे...
दोस्ती किया है ..........तुमसे...
क्या ख़बर तुम को ... कि दोस्ती क्या है ? ये रौशनी भी है , अँधेरा भी है ; ख्वाहिशों से भरा जजीरा भी है . बहुत अनमोल एक हीरा भी है ; दोस्ती एक हसीं ख्वाब भी है . पास से देखो तो शराब भी है ; दुःख मिलने पे ये अजाब भी है . और ये प्यार का जवाब भी है , दोस्ती यूँ तो माया जाल भी है . एक हकीकत भी है ; ख्याल भी है कभी फुरक़त कभी विस्सल भी है ; कभी ज़मीन , कभी फलक भी है दोस्ती झूठ भी है , सच भी है दिल मैं रह जाये तो कसक भी है ; कभी ये हार , कभी जीत भी है दोस्ती साज़ भी , संगीत भी है शेर भी , नज़म भी ,गीत भी है . वफ़ा क्या है , वफ़ा भी दोस्ती है दिल से निकली दुआ भी दोस्ती है बस इतना समझ ले तु... प्यार की इन्तहा भी दोस्ती है ........................
एक दोस्त..........................
मन का शहर , मन की गलियाँ !!
ये ग़लत है की दुनिया बड़ी होती है, सच तो ये है की दुनिया से बड़ी दुनिया में रहने वाले मनुष्य का अपना मन होता है.
मन एक restless पक्षी की तरह होता है, जिसका अपना ही बनाया हुआ शहर होता है , अपनी ही बनाई हुई गलियां ; जिसमे मन तमाम उम्र उड़ते रहता है , भटकते रहता है , पर विडंबना तो देखो मनुष्य जीवन की; अपने ही शहर में , अपने ही बनाई हुई गलियों पर चलकर मन कभी अपनी मंजिल तक नही पहुंचता .
मन की गलियाँ , मन के उस शहर की होती है , जो कल्पना व भावनाओ के धरातल पर प्यार की महक से बनी होती है.
मैं भी मन के उस शहर की गलियों में भटकता हुआ एक पक्षी हूँ.......पर क्या मैं अपने सपनो की दुनिया से बाहर आ पाउँगा ?
क्षमा याचना
मान्यवर,
क्षमापना सारी गलतियों व अपराधों को धोने का अमोघ उपाय है.
मनुष्य की श्रेष्टथा इसी में है कि वह अपनी भूलो को स्वीकार करे.
जो अपराध को स्वीकार नही करता वह अपराध से कभी मुक्त भी नही हो पाता .
जीवन पथ इतना लंबा और अटपटा है कि उसे यदि क्षमापना से बार बार बुहारा न जाए तो वह कुडादान बन जायेगा.
दुनिया में सारे धर्मग्रंथो और उपदेशों का सार है कि क्षमा को छोड़कर हम कितना भी चले कहीं भी नही पहुँच पाएंगे.
याथार्थ तो यही है कि आत्म उत्कर्ष के किशी भी शिखर पर कोई कभी पहुँचेंगा तो वह क्षमा के साथ ही पहुँचेंगा .
आईये ,क्षमा द्वार से प्रवेश कर ,मनो मालिन्य ,राग, द्वेष और अहंकार से मुक्त हो.
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